5 Simple Statements About hanuman chalisa Explained

“Conditions will likely be finished, all pains will be long gone, each time a devotee repeatedly repeats Hanuman the brave’s name.”

व्याख्या – श्री हनुमान जी परब्रह्म राम की क्रिया शक्ति हैं। अतः उसी शक्ति के द्वारा उन्होंने भयंकर रूप धारण करके असुरों का संहार किया। भगवान् श्री राम के कार्य में लेश मात्र भी अपूर्णता श्री हनुमान जी के लिये सहनीय नहीं थी तभी तो ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम‘ का भाव अपने हृदय में सतत सँजोये हुए वे प्रभु श्री राम के कार्य सँवारने में सदा क्रिया शील रहते थे।

भावार्थ – हे हनुमान जी! [जन्म के समय ही] आपने दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को [कोई] मीठा फल समझकर निगल लिया था।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥

TumhareTumhareYour bhajanaBhajanaDevotion / chanting rāma RāmaLord Rama koKoTo pāvaiPāvaiTakes to / presents / attained

[Maha=great;Beera=Courageous; Vikram=good deeds; bajra=diamond; ang=physique sections; kumati=bad intellect; nivara=remedy, clean up, demolish; sumati=superior intelligence; ke=of; sangi=companion ]

व्याख्या – संसार में रहकर मोक्ष (जन्म–मरण के बन्धन से मुक्ति) प्राप्त करना ही दुर्गम कार्य है, जो आपकी कृपा से सुलभ है।

Rama is the king of all, he may be the king of yogis. You managed all his jobs, or in other translation, He whoever usually takes refuge in Rama you might manage all their duties.

O partial incarnation of Lord shiva, giver of joy to King Kesari. Your good majesty is revered by The entire globe.

भावार्थ – माता जानकी ने आपको वरदान दिया है कि आप आठों प्रकार की सिद्धियाँ (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व) get more info और नवों प्रकार की निधियाँ (पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुन्द, कुन्द, नील, खर्व) प्रदान करने में समर्थ होंगे।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥ जय जय जय हनुमान गोसाईं ।

Reciting it can help somebody to channelize their energy and offers a total focus of thoughts and system. Reciting or chanting of this Chalisa is a standard religious observe amongst numerous Hindus all around the world.

व्याख्या – भजन का मुख्य तात्पर्य यहाँ सेवा से है। सेवा दो प्रकार की होती है, पहली सकाम, दूसरी निष्काम। प्रभु को प्राप्त करने के लिये निष्काम और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता है जैसा कि श्री हनुमान जी करते चले आ रहे हैं। अतः श्री राम की हनुमान जी जैसी सेवा से यहाँ संकेत है।

He whoever recites this hundred times, his chains of Bondage will be Reduce, Terrific contentment will likely be his.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *